संज्ञा क्या है ? संज्ञा की परिभाषा, संज्ञा के प्रकार - जातिवाचक संज्ञा, व्यक्तिवाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक भाववाचक संज्ञा का उदाहरण सहित वर्णन
संज्ञा का अर्थ व परिभाषा
संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है - सम+ज्ञा अर्थात सही ज्ञान कराने वाला। संज्ञा का दूसरा पर्याय है- नाम। वह विकारी शब्द, जिससे किसी वस्तु, भाव, प्राणी तथा स्थान आदि के नाम का ज्ञान होता है, उसे संज्ञा कहते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी का नाम ही उसकी संज्ञा है तथा इस नाम से ही उसे पहचाना जाता है। जैसे:-
राम (व्यक्ति का नाम ), संज्ञा है |
दिल्ली ( स्थान का नाम ), संज्ञा है |
सोना ( वस्तु का नाम ),संज्ञा है |
मिठास (भाव ) संज्ञा है |
संज्ञा का महत्व
संज्ञा, भाषा का एक अभिन्न अंग है। बिना संज्ञा शब्दों की भाषा बन ही नहीं सकती । जब हम कोई भी बात करते, कहते या पूछते हैं, तो संज्ञा शब्दों का प्रयोग अवश्य करते हैं। जैसे:-
पंडित जवाहरलाल नेहरू बहुत बड़े वक्ता थे।
गोदान मुंशी प्रेमचंद का प्रसिद्ध उपन्यास है।
इस प्रकार कोई भी वाक्य संज्ञा शब्दों के बिना अधूरा है | संज्ञा को निम्नलिखित आधारों पर पहचाना जा सकता है-
1 कुछ संज्ञा शब्द प्राणी वाचक होते हैं| जैसे- कुत्ता, गाय, रवि आदि तथा कुछ अप्राणी वाचक जैसे - पर्वत, शहर, घर स्कूल आदि।
2 कुछ संज्ञा शब्द गणितीय होते है। जैसे- रुपया, पुस्तक तथा कुछ संज्ञा शब्द अगणनीय होती है। जिसे गीना नहीं जा सकता है| जैसे- हरियाली, बुढ़ापा, हवा, चीनी, पानी, दूध आदि ।
3 पद वाक्य में संज्ञा, कर्ता, कर्म, पूरक आदि की भूमिका निभा सकता है । जैसे-
राम खेल रहा है। ( कर्ता के रूप में)।
उसने राम को चांटा मारा । (कर्म के रूप में)
4 संज्ञा पद के बाद परसर्ग आ सकते हैं। जैसे- घर में, कुर्सी पर, स्कूल का।
5 संज्ञा से पहले विशेषण का प्रयोग हो सकता है। जैसे- काला आदमी, छोटा बच्चा, पीला कमीज।
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संज्ञा के प्रकार
1 व्युत्पति के आधार पर संज्ञा तीन प्रकार की होती है -
1 रूढ़ (कृष्ण, जमुना) 2 यौगिक (परिवार,पाठशाला ) 3 योगरूद ( जलज ) ( यौगिक अर्थ -जल में उत्पन्न वस्तु , योगरूद अर्थ - कमल)।
2 संज्ञा के प्रायः तीन भेद होते हैं-
1 व्यक्तिवाचक संज्ञा
2 जातिवाचक संज्ञा - इसके 2 उपभेद हैं -
a. द्रव्य वाचक संज्ञा
b. समुदाय वाचक संज्ञा
3 भाववाचक संज्ञा
इस प्रकार अर्थ की दृष्टि से संज्ञा पांच प्रकार की होती है-
1व्यक्तिवाचक संज्ञा
2जातिवाचक संज्ञा
3 द्रव्य वाचक संज्ञा
4 समूह वाचक संज्ञा
5 भाववाचक संज्ञा
1 व्यक्तिवाचक संज्ञा
जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु, स्थान या प्राणी के नाम का बोध कराती हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-
राम, शेर,यमुना,दिल्ली,रामायण,एरिया, मानसरोवर।
यहां प्रत्येक शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु, प्राणी अथवा स्थान का नाम बता रहा है। पांचो संज्ञाओं में व्यक्तिवाचक संज्ञाओं की संख्या सबसे अधिक है। इनमें से कुछ प्रमुख संज्ञाएं निम्नलिखित है-
A व्यक्तियों के नाम - सीता, गीता, राम, गांधी, मदर टेरेसा।
B पुस्तकों के नाम - भागवत गीता, रामायण, पुराण, बाइबिल, गुरु ग्रंथ।
C पत्र पत्रिकाओं के नाम - दैनिक भास्कर, अमर उजाला, इंडिया टुडे, नवभारत टाइम्स।
D गांव मोहल्ले के नाम - लक्ष्मी नगर, रामगढ़, देवगढ़ ।
E शहरों के नाम - दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना, कोलकाता ।
F प्रदेशों के नाम - उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक आदि।
G देश के नाम - भारत, श्रीलंका, अमेरिका, पाकिस्तान, जापान, यूरोप आदि।
H नक्षत्र के नाम - सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, मंगल आदि।
I महाद्वीपों के नाम - एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया आदि।
J दिन महीना तथा वर्षों के नाम - सोमवार, मंगलवार, जनवरी, फरवरी, 1950
K जानवरों के नाम - चेतक, ऐरावत।
L झीलों के नाम - डल झील, मानसरोवर, चिल्का झील आदी ।
M नदियों, तालाबों के नाम - गंगा, जमुना, सरस्वती, कोसी, महानदी आदि ।
N पहाड़ों, पर्वतों के नाम - हिमालय, तिब्बत का पठार आदि।
O दुकानों के नाम राम - बुक डिपो, अमर प्रकाशन, लोक सेवा आदि।
P त्योहारों के नाम - होली, दीपावली, ईद , क्रिसमस, रक्षाबंधन।
Q भवनो एवं स्मारकों के नाम - कुतुब मीनार, लाल किला, इंडिया गेट, ताजमहल।
R सड़कों एवं गलियों के नाम - राजपथ रोड, इंडिया गेट रोड, मथुरा रोड आदि।
2 जाति वाचक संज्ञा
जो संख्या एक ही प्रकार की वस्तुओं या पूरी जाति का बोध कराती है, जातिवाचक संज्ञा कहलाती है।
जैसे- नदी, फूल, पशु, देश, औरत, लड़का, लड़की, पक्षी, गांव, समाचार पत्र, पहाड़।
नदी जातिवाचक संज्ञा है क्योंकि यह सभी नदियों का बोध कराती है, किंतु गंगा एक विशेष नदी का नाम है, इसलिए गंगा व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
3 द्रव्य वाचक संज्ञा
जिस संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य, धातु अथवा पदार्थ का बोध होता है, उसे द्रव्य वाचक संज्ञा कहते हैं । द्रव्य वाचक संज्ञा शब्दों का प्रयोग प्रायः एक वचन में ही किया जाता है, क्योंकि इन संज्ञाओं को गिना नहीं जा सकता, केवल नापा तौला ही जा सकता है। जैसे-
द्रव्य - घी, दूध, दही, तेल आदि।
धातु - हीरा, सोना, चांदी, निकल, कांसा आदि।
पदार्थ - कोयला, गेहूं, जौ, बाजरा , लकड़ी आदि।
4 समूहवाचक संज्ञा
जिस संज्ञा शब्द से किसी समुदाय अर्थात समूह का बोध होता है, उसे समूह/समुदाय वाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे-
घर, परिवार, कक्षा, वर्ग, सेना, भीड़, सभा, टीम, समिति, आयोग, पुलिस, अधिकारी, कर्मचारी,आदि।
समूहवाचक संज्ञा की सूची -
1 नक्षत्रों का मंडल
2 तारों का पूंज
3 पर्वतों की श्रृंखला
4 फूलों /अंगूरों /कुंजियां का गुच्छा
5 फूलों का दस्ता
6 लताओं का कुंज
7 केले का घौंद
8अनाजों का ढेर
9 भेड़ों का झुंड
10 यात्रियों /घुड़सवारों /वक्ताओं का दल
11 चोर डाकुओं/लुटेरों/पोकेटमारों/ अपराधियों का गिरोह
12 ऊंटो/यात्रियों का काफिला
13 कवियों /लेखकों/ गायको/ विद्वानों की मंडली
14 राजनीतियों का गुट
15 राज्यों /मजदूरों/ कर्मचारियों का संघ
16कार्यों की सूची, आदि।
5 भाववाचक संज्ञा
जिन संज्ञा शब्दों से व्यक्ति या वस्तु के गुण, धर्म, दशा, भाव अथवा व्यापार का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे-
उदारता, अच्छाई, कोमलता, मिठास, यौवन, मूर्खता, दुष्टता, बचपन, जवानी, बुढ़ापा, अनुशासनहीनता आदि।
इन संज्ञाओं को देखा या स्पर्श नहीं किया जा सकता है। जैसे-
रसगुल्ले का मिठास, पानी की शीतलता, राम की अच्छाई, शुभम की मूर्खता आदि।
भाववाचक संज्ञा दो प्रकार की होती है -
1 जो मूल रूप से भाववाचक होती है यह भाववाचक संज्ञा स्वतंत्र होती है। जैसे-
सुख, दुख, सत्य, ज्ञान, मृत्यु, श्रद्धा आदि।
2 जो अन्य शब्दों की सहायता से बनती है। यह परतंत्र भाववाचक संज्ञा है।जैसे -
बच्चा से बचपन, चलना से चला, कायर से कायरता, हरा से हरियाली|
इस प्रकार परतंत्र भाववाचक संज्ञा शब्द पांच प्रकारों से बनते हैं-
A जातिवाचक संज्ञाओं से जैसे - शिशु से शैशव
B सर्वनाम से जैसे - अपना से अपनापन
C विशेषणों से जैसे - अपक्व से अपक्वता
D क्रियाओं से जैसे - सीना से सिलाई
E अव्ययों से जैसे - खूब से खूबी
F व्यक्तिवाचक संज्ञा से जैसे - कारीगर से कारीगरी।