कंप्यूटर एक परिचय
कंप्यूटर शब्द कंप्यूट (compute ) से बना है। जिसका अर्थ है गणना। अतः कंप्यूटर का अर्थ है गणना करने वाली मशीन।
कंप्यूटर एक् तीव्र शत प्रतिशत सही परिणाम देने वाली इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो संग्रह किए गए डाटा या यूजर द्वारा प्राप्त डाटा को बीजगणितीय एवं तार्किक क्रिया ( प्रोसेसिंग) कर उसका आउटपुट प्रदान करता है।
कंप्यूटर का इतिहास कंप्यूटर के विकास क्रम को तीन भागों में बांटा जा सकता है
- डार्क ऐज
- मिडल ऐज
- मॉडर्न ऐज
1. डार्क ऐज
इस समय के सभी कंप्यूटर इलेक्ट्रो मैकेनिकल ( Electro mechanical) थे । डार्क ऐज का इतिहास अबेकस से शुरू हुआ।
1. अबेकस ( गिनतारा )
अबेकस गणना करने की प्राचीनतम मशीन मानी जाती है। जो की चीन में 3000 वर्ष पहले बनाई गई थी। अबेकस को आज भी सोवियत संघ, जापान एवं भारत में प्राथमिक शिक्षा के लिए काम में लिया जा रहा है।
2. एनालॉग मशीन एवं नेपियर बोंस
अबेकस के बाद सन 1617 में स्कॉटलैंड के एक गणितज्ञ जॉन नेपियर ने हड्डियों के छड़ो का प्रयोग कर एक ऐसी मशीन का निर्माण किया जो गुणा का कार्य भी कर सकती थी। इसलिए इस मशीन का नाम नेपियर बोंस रखा गया।
3. ब्लेज पास्कल का यांत्रिक कैलकुलेटर
सन 1642 में ब्लेज पास्कल ने पहली यांत्रिक मशीन बनाई जो जोड़ व घटाव का कार्य कर सकती थी । पास्कल की इस एडिंग मशीन को पास्कलाइन कहा गया। यह मशीन खूब प्रचलित हुई । बाद में जर्मन वैज्ञानिक गोटफ्रेड लेबनीज ने 1671 में पास्कलाइन में कई सुधार करके इसका विकसित रूप तैयार किया । जो जोड़, घटाओ के साथ गुणा और भाग का कार्य भी करने लगी। इसे रेकनिंग मशीन कहा गया।
4. चार्ल्स बैबेज का डिफरेंस इंजन एवं एनालिटिकल इंजन
चार्ल्स बैबेज कंप्यूटर इतिहास के महान व्यक्ति थे। जिन्होंने डिफरेंस इंजन बनाया । चार्ल्स बैबेज को आधुनिक कंप्यूटर का जन्मदाता माना जाता है, क्योंकि सर्वप्रथम बैबेज ने ही कंप्यूटर आविष्कार की महत्वपूर्ण परिकल्पना की थी । इस मशीन के द्वारा सारणियो का निर्माण किया जाता था । इस मशीन में गियर व सॉफ्ट लगे थे तथा यह भाप से चलती थी। यह पूर्णतया: स्वचालित मशीन थी । यह 60 जोड़ 1 मिनट में कर सकती थी एवं इनमें मेमोरी भी थी। यह प्रोग्राम के निर्देशों द्वारा नियंत्रित होती थी। 1833 में बैबेज ने एक अन्य मशीन का आविष्कार किया जिसे एनालिटिकल इंजन कहा गया। यह मशीन दशमलव के 50 में स्थान तक काम कर सकती थी तथा इस प्रकार की 1000 तक संख्याएं इनमें संग्रहित की जा सकती थी। इसमें निर्देश पंच कार्ड पर संग्रहीत किए जाते थे। यह विचार उन्हें जोसेफ जैकार्ड (1752_1834) की लूम मशीन से मिला जिसमें पहली बार पंचकार्ड प्रयोग किया गया । यह मशीन पूर्णांक संख्या का वर्गमूल भी ज्ञात कर सकता था। इसके द्वारा परिणाम स्वत प्रिंट हो जाती थी।
5. जेकार्ड की लूम मशीन
जोसेफ मेरी जेकार्ड एक बुनकर और टेक्सटाइल इंजीनियर था। 1801 में एक ऐसी मशीन बनाई जिसमे बुनाई की डिजाइन डालने में छिद्र किए हुए पंच कार्डों का उपयोग किया जाता था। अर्थात बुनाई की डिजाइन का इनपुट उन कार्डो पर था। चार्ल्स बैबेज ने अपने एनालिटिकल इंजन में इनपुट देने का कार्य इन्हीं पंच कार्डो द्वारा किया। डॉक्टर होलरिथ ने टेबुलेटिंग मशीन बनाई जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुई। एवं आगे चलकर होलरिथ ने अपनी टेबुलेटिंग कंपनी बनाई जो बाद में आईबीएम ( IBM - INTERNATIONAL BUSINESS MACHINE ) के नाम से प्रसिद्ध हुई ।
6. ऑगस्टा एडा
महिला वैज्ञानिक एडा ने बैबेज के सिद्धांत पर कार्य पर क्रियाशील एनालिटिकल मशीन बनाकर दुनिया में प्रथम कंप्यूटर प्रोग्रामर होने का गौरव प्राप्त किया । बाद में वर्तमान कंप्यूटर पर कार्य करने के लिए विभिन्न कंप्यूटर भाषाओं का विकास भी किया गया। इस महिला वैज्ञानिक को सम्मान प्रदान करने के लिए एक कंप्यूटर भाषा " एडा " भी विकसित की गई।
2. मिडिल ऐज
1. डॉ. हरमन होलरिथ की टेबुलर मशीन
कंप्यूटर के विकास में USA के वैज्ञानिक डॉक्टर हरमन होलेरिथ का बहुत योगदान रहा । हिलेरिथ की मशीन में पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था । उन्होंने अपने कोड विकसित किए, जिन्हें होलेरिथ कोड कहा गया। इस कोड के द्वारा पंच कार्ड में सूचना का संग्रह करना संभव हो पाया । इस मशीन से डाटा को भविष्य के लिए संग्रहित करना संभव हो सका। होलेरिथ ने 1896 में एक कंपनी निर्मित की और यह मशीन बेचने लगा । 1924 में यह कंपनी एक अन्य कंपनी के साथ विलय होकर आईबीएम IBM ( इंटरनेशनल बिजनेस मशीन ) के नाम से जाने जाने लगी। यह पहली यांत्रिक मशीन थी जो बिजली से चलती थी ।
2. एटानासॉफ बेरी कंप्यूटर
सन 1939 में डॉक्टर जॉन एटानासॉफ व उनके छात्र ई _बेरी ने USA के एक विश्वविद्यालय में जटिल घटनाओं के लिए कंप्यूटर बनाने का प्रयास किया । सन 1942 में इन्होंने एक कार्यशील मॉडल तैयार कर लिया है । जिसमें मुख्य वैक्यूम ट्यूब उपकरण का उपयोग किया गया था। यह एबीसी ( ABC ) कंप्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम पर आधारित था तथा संग्रह इकाई व अंकगणित लॉजिक इकाई इसकी मुख्य विशेषताएं थी अर्थात एटानासॉफ ने प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर ( 1942 ) का आविष्कार किया।
3. मॉडर्न ऐज
इस युग में इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का विकास हुआ। 1930 वह 1940 के मध्य कई नामो के इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बाजार में आए। इसमें बाइनरी सिस्टम का प्रयोग किया गया । 1936 में वैज्ञानिक CONARD ZUZE ( जर्मन इंजीनियर) ने मॉडल यांत्रिक कंप्यूटर Z1 का निर्माण किया । जिसमें नंबर इनपुट करने के लिए कीबोर्ड का प्रयोग किया। इसमें बाइनरी नंबर सिस्टम का प्रयोग किया गया। जेट वन ( Z1) में धीमे मैकेनिकल स्विचस ( machanical switches) को इलेक्ट्रिकल रिले (electrical relay) से बदल दिया।
MARK-1
1944 में प्रोफेसर एनिएक ( ANIAC - Electronic Numerical Integrator and Calculater ) ने आईबीएम ( IBM ) कंपनी के साथ मिलकर पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बनाया, जो की लेडी एडा के द्वारा विकसित निर्देशों पर कार्य करता था। मार्क 1 ( MARK-1) , दो बीस डिजिट (digit) की संख्या को 5 सेकंड में गुणा कर सकता था और आवाज भी करता था। हालांकि यह कंप्यूटर इससे पहले बने कंप्यूटर से तेज गति से कार्य करता था। लेकिन इसमें खराबी को ढूंढना मुश्किल कार्य था।