परिचय
विशेषण की परिभाषा
संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता ( गुण, दोष, संख्या, परिणाम, रंग, आकार, दशा आदि ) को बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं ।
जो शब्द विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहा जाता है और जिसकी विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहा जाता है। जैसे -
विशेष्य - जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता प्रकट की जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। जैसे:-
एक किलो आम चाहिए। जहां पर आम विशेष्य है।
नोट: प्रायः संज्ञा को ही विशेष्य कहा जाता हैं।
विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं तथा उसके बाद भी । विशेष्य से पूर्व आने वाले विशेषण, विशेष्य विशेषण कहलाते हैं। जैसे-
चतुर बालक अपना गृह कार्य कर रहा है।
जो विशेषण शब्द विशेषणों की विशेषता बताते हैं, वे प्रविशेषण कहलाते हैं। जैसे-
विशेषण के भेद - विशेषण मूलतः चार प्रकार के होते हैं
2. गुणवाचक विशेषण
3. संख्या वाचक विशेषण
4. परिमाण बोधक विशेषण
1. सार्वनामिक विशेषण
जो सर्वनाम शब्द अपने सार्वनामिक रूप में ही संज्ञा के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं वह सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे यह घर एकदम साफ है। पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम को छोड़कर बाकी सभी सर्वनाम संज्ञा के साथ प्रयुक्त होकर सार्वनामिक विशेषण बन जाते हैं।
सार्वनामिक विशेषण के चार भेद हैं
1. संकेत वाचक/ निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण
जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताती हैं वे संकेत वाचक सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं यह किताब मेरी है।
2.अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण
अनिश्चयवाचक सर्वनाम कोई, कुछ विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं। जैसे कमरे के बाहर कोई व्यक्ति खड़ा है।
3.प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण
4. संबंध वाचक सार्वनामिक विशेषण
2. गुणवाचक विशेषण
जिस शब्द से संज्ञा के गुण दशा स्वभाव आदि का ज्ञान हो उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं यह विशेषण संज्ञा के गुणों को इंगित करते हैं | साथ ही संज्ञा के अवगुणों को भी दर्शाते हैं | गुणवाचक विशेषण में संज्ञा या सर्वनाम व्यक्ति या वस्तु की प्रयास निम्नलिखित विशेषताएं बताई जाती है ।
- गुण - अच्छा, सीधा, भला, विनम्र, दयालु, धार्मिक, सच्चा, आदि।
- दोष - बुरा, पापी, निर्दयी, अभिमानी, चालक, क्रूर आदि।
- आकार - गोल, चौकोर, छोटा, बड़ा, लंबा, सीधा, नुकीला आदि।
- स्थान - भारतीय, विदेशी, विदेशी, बनारसी, ग्रामीण, दायां, बायां, स्थानीय, बाहरी, भीतरी आदि।
- रंग - लाल, पीड़ा, हरा, नीला, चमकीला, धुंधला, फीका, सुनहरा आदि ।
- काम/ काल - नया, पुराना, प्राचीन, आधुनिक, अगला, मौसमी, आगामी, भूत, वर्तमान, भविष्य, आदि ।
- दशाबोधक - पतला, मोटा, भारी, हल्का, गीला, सूखा, स्वस्थ, दुबला, युवा, वृद्ध, पालतू, रोगी, आदि।
- स्वाद बोधक - खट्टा, मीठा, नमकीन, चटपटा, कड़वा, तीखा आदि ।
- दिशा - भीतरी, बाहरी, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी, उत्तरी आदि ।
- स्पर्श - कोमल, कठोर, चिकना, मुलायम, खुरदरा आदि।
- गंध - सुगंधित, खुशबूदार, दुर्गन्धयुक्त आदि ।
- ध्वनि - मधुर, कर्कश, आदि।
3. संख्यावाचक विशेषण
1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण
2. अनिश्चित संख्या वाचक विशेषण
4. परिमाणवाचक विशेषण
1. निश्चितपरिमाण वाचक विशेषण
2. अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण
वाक्य में स्थान की दृष्टि से विशेषण दो प्रकार के होते हैं
उद्देश्य विशेषण एवं विधेय विशेषण
जो विशेषण विशेष्य के ठीक पहले आए उसे उद्देश्य विशेषण और जो विशेषण विशेष्य के ठीक बाद आये है उसे विधेय विशेषण कहते हैं।
विशेषणों की तुलना अवस्थाएं
जब हम दो या तो उसे अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं के गुणों अथवा अवगुणों की आपस में तुलना करते समय जिन विशेषणों का प्रयोग करते हैं उन्हें तुलना बोधक विशेषण कहते हैं।
तुलना बोधक विशेषण की तीन अवस्थाएं होती है -
- मूल अवस्था
- उत्तरा अवस्था
- उत्तमा अवस्था।
1. मूल अवस्था
इस अवस्था में किसी एक व्यक्ति वस्तु अथवा पदार्थ के गुण या अवगुण का कथन होता है इसमें विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है बल्कि विशेषण केवल सामान्य विशेषता बताता है। मूलावस्था में विशेषण शब्दों का मूल रूप ही प्रयुक्त होता है।
जैसे- वह व्यक्ति बहुत ईमानदार है।
2. उत्तरा अवस्था
इस अवस्था में दो व्यक्तियों, प्राणियों, वस्तुओं अथवा पदार्थों के गुण, दोष अथवा विशेषता की तुलना करके एक को दूसरे से बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है। इसमें विशेषण का तुलनात्मक रूप होता है । इस अवस्था में जिससे तुलना की जाती है उसे संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द के आगे से, से अधिक, से बढ़कर, की अपेक्षा, की तुलना में आदि शब्दों का प्रयोग होता है । अर्थात् उत्तरा अवस्था में तुलनात्मक शब्दों का प्रयोग होता है |
जैसे- राम श्याम से लंबा है।
3. उत्तमा अवस्था
इस अवस्था में दो अथवा दो से अधिक वस्तुओं प्राणियों, पदार्थों अथवा व्यक्तियों की तुलना करके उनमें से किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया जाता है । जैसे राम अपनी कक्षा का सबसे ईमानदार लड़का है। उत्तम अवस्था में सबसे, सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
नोट :- 1 . केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाण वाचक विशेषणों की ही तुलनात्मक अवस्थाएं होती है।
2. संस्कृत के तत्सम शब्दों में दो की तुलना करते समय "तर" तथा सबसे अधिक का भाव व्यक्त करने के लिए "तम" प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है । हिंदी के शब्दों में केवल तम का ही प्रयोग होता है |
जैसे- निकटतम, अधिकतम आदि।