काल किसे कहते है ? काल की परिभाषा
क्रिया के जिस रूप से क्रिया के होने का समय तथा उसकी पूर्णता या अपूर्णता का बोध हो, उसे काल कहते हैं।
जैसे:-
- राम ने कल खाना खाया था। ( भूतकाल )
- मैं क्रिकेट खेल रहा हूं । ( वर्तमान काल )
- राम कल वनवास जाएगा । ( भविष्यत काल )
काल के भेद काल के तीन भेद हैं :-
1.भूतकाल
2.वर्तमान काल
3. भविष्य काल![]() |
1. भूतकाल
क्रिया के जिस रूप से भूतकाल ( बीते हुए समय) में क्रिया के होने का पता चलता है, उसे भूतकाल कहते हैं।
जैसे:- बच्चा खेल रहा था ।
अर्जुन ने कर्ण का वध किया था।
भूतकाल के भेद - भूतकाल की निम्नलिखित छ: भेद हैं :-
सामान्य भूत
आसन्न भूत
पूर्ण भूत
अपूर्ण भूत
संदिग्ध भूत
हेतु हेतुमद भूत
1. सामान्य भूत
क्रिया की जिस रूप से साधारण तथा बीते हुए समय में क्रिया का होना प्रकट हो अर्थात् क्रिया को समाप्त हुए थोड़ी देर हुई है या अधिक इत्यादि विशेषता का जिससे बोध ना हो , उसे सामान्य भूत कहते हैं।
जैसे :- रवि आया।
हमने हिंदी पढ़ा।
उपर्युक्त वाक्य की क्रियाओ से कार्य के होने का बोध तो होता है, परंतु किसी निश्चित समय का बोध नहीं होता । अतः ये सामान्य भूत क्रियाएं हैं।
2. आसन्न भूत
क्रिया की जिस रूप से क्रिया के व्यापार का समय आसन्न ( निकट ) ही समाप्त समझा जाए, उसे आसन्न भूत कहते हैं। इसमें सामान्य भूतकाल की क्रिया के साथ है, हैं, हो, तथा हूं आदि लग जाती है। इसमें कार्य का आरंभ भूतकाल से तथा समाप्ति वर्तमान काल में होती है।
जैसे :-
- राम अभी आया है ।
- हमने कविता याद की है।
उपर्युक्त वाक्य में 'आया है', 'याद की है' क्रियाओं से यह बोध होता है कि कार्य अभी-अभी समाप्त हुआ है। अतः दोनों आसन्न भूत की क्रियाएं हैं । उनकी रचना निम्न प्रकार से होती है ।
मूलधातु+आ +'होना' सहायक क्रिया
जैसे -
रवि ने निबंध लिखा है।( लिख+आ+होना) ।
इससे यह पता चलता है की आसन्न भूत में कोई भी कार्य भूतकाल में आरंभ होकर वर्तमान काल में समाप्त होता है।
3. पूर्ण भूत
क्रिया के जिस रूप से यह प्रकट हो की कार्य को समाप्त हुए बहुत काल बीत चुका है, वह पूर्ण भूत कहलाता है। इसमें सामान्य भूतकाल की क्रिया के साथ था, थी, थे आदि भी लग जाती हैं।
जैसे:-
- हमने क्रिकेट खेला था ।
- वे कल घर गए थे ।
उपर्युक्त क्रियाओ से यह बोध हो रहा है कि कार्य को पूरा हुए बहुत समय बीत चुका है । अतः ये पूर्ण भूत की क्रियाएं हैं। उनकी रचना निम्न प्रकार से होती है
मूलधातु + आ + था
जैसे - उसने पाठ पढ़ा था । पढ़+आ +था
विशेष -
सामान्य भूत के साथ था,थे, थी लगा देने पर पूर्ण भूत बन जाता है ।
जैसे -
- राम ने केला खाया। ( सामान्य भूत )
- राम ने केला खाया था । ( पूर्ण भूत )।
4. अपूर्ण भूत
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की क्रिया भूतकाल में हो रही थी। किंतु उसकी समाप्ति का पता न चल सके, वह अपूर्ण भूत कहलाता है। इसमें मूल धातु के साथ रहा था, रही थी, रहे थे आदि लगाते हैं, अथवा 'ता था' भी लगा देते हैं।
जैसे:-
- राम निबंध लिख रहा था।
- गणेश क्रिकेट खेल रहा था।
उपर्युक्त वाक्य में 'लिख रहा था', 'खेल रहा था' से क्रिया के भूतकाल में होने का पता चलता है परंतु समाप्त होने का नहीं । अत: यह अपूर्ण भूत की क्रियाएं हैं। इसकी रचना निम्न प्रकार से होती है।
मूल धातु+ रहा/ रहे/ रही+ था/ थे/थी ।
विशेष -
इसी काल के अंतर्गत कुछ इस प्रकार के वाक्य भी आते हैं, जिनमें क्रिया भूतकाल में लंबे समय तक होकर समाप्त हो गई हो।
जैसे :-
- राम पढ़ता रहा था।
- बच्चे क्रिकेट खेलते रहे थे।
इसकी रचना इस प्रकार होती है।
धातु + ता /ते/ती + रहा/ रहे/ रही + था/ थे/थी।
5. संदिग्ध भूत
क्रिया के जिस रूप से भूतकाल तो प्रकट हो, किंतु क्रिया के होने में संदेह हो उसे संदिग्ध भूत कहते हैं। इसमें सामान्य भूतकाल की क्रिया के साथ 'होगा' लगता है।
जैसे:-
- राम ने पाठ याद किया होगा।
- वर्षा हुई होगी ।
- सीता गई होगी ।
उपर्युक्त वाक्य में क्रियाओं 'याद किया होगा', ' हुई होगी', 'गई होगी' से भूतकाल का तो बोध होता है, किंतु क्रियाओं के पूर्ण होने में संदेह है। अतः यह संदिग्ध भूत की क्रियाएं हैं। उनकी रचना निम्न प्रकार से होती है।
मूल धातु + आ /ई/ऐ (या/ये) + होना।
6. हेतुहेतुमद भूत
इसमें भूतकाल की क्रिया किसी कारक पर आधारित होती है अर्थात यह क्रिया का वह रूप है जिसमें भूतकाल में होने वाली क्रिया का होना किसी दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर हो अर्थात एक क्रिया दूसरी क्रिया की कारक हो।
जैसे:-
- यदि राम पढ़ा होता तो अवश्य पास होता ।
- यदि तुम कल आते तो मैं जरूर चलता ।
- सीता जाती ( क्रिया होने वाली थी पर हुई नहीं )।
उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाओं 'पढ़ा होता', 'होता' तथा 'आते ', चलता' से क्रिया के भूतकाल में होने का पता तो चलता था, परंतु यह क्रिया हुई नहीं। अत: यह हेतुहेतुमद भूत की क्रियाएं हैं।
2. वर्तमान काल
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान समय में क्रिया का होना पता चलता है उसे वर्तमान काल कहते हैं ।
जैसे :- राम निबंध लिखता है ।
राम आम खा रहा है।
वर्तमान काल के भेद - वर्तमान काल के निम्नलिखित चार भेद है :-
1 सामान्य वर्तमान
2 अपूर्ण वर्तमान/ तात्कालिक वर्तमान
3 संदिग्ध वर्तमान
4 हेतुहेतुमद वर्तमान/ संभाव्य वर्तमान
1. सामान्य वर्तमान
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल की क्रिया का सामान्य रूप से होना पाया जाए, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं ।
जैसे:- राम रोज पड़ता है।
मेरा मित्र मेरे घर आता है।
उपर्युक्त वाक्य की क्रियाओं से कार्य का वर्तमान समय में होने का पता चलता है। अतः यह सामान्य वर्तमान की क्रियाएं हैं।
2. अपूर्ण वर्तमान
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की क्रिया अभी जारी है अर्थात जिसे वर्तमान काल में क्रिया की असमाप्ति का ज्ञान हो, उसे अपूर्ण वर्तमान कहते हैं।
जैसे:- हम विद्यालय जा रहे हैं ।
बच्चे क्रिकेट खेल रहे है।
उपर्युक्त क्रियाओं से कार्य होते रहने का बोध हो रहा है, उसके समाप्त होने का नहीं। अतः यह अपूर्ण वर्तमान की क्रियाएं हैं।
3. संदिग्ध वर्तमान
क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल की क्रिया के होने में संदेह पाया जाए उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं ।
जैसे:- राम अभी आता होगा।
श्याम पत्र लिखता होगा ।
उपर्युक्त वाक्य की क्रियाओं से वर्तमान काल में कार्य होने में संदेह का बोध हो रहा है। अत यह संदिग्ध वर्तमान की क्रियाएं हैं।
4. हेतुहेतुमद वर्तमान/संभाव्य वर्तमान
क्रिया का वह रूप जिससे एक कार्य का होना वर्तमान काल की किसी दूसरी क्रिया के संपन्न होने पर निर्भर हो, वही हेतुहेतुमद वर्तमान काल होता है।
जैसे:- यदि अंकल आए हो तो उन्हें मत जाने देना।
यदि पत्र पढ़ना हो तो उसे पढ़ने दो।
3. भविष्यत काल
क्रिया के जिस रूप से भविष्य (आने वाले समय ) में क्रिया के होने का पता चले उसे भविष्य काल कहते हैं।
जैसे :- राम कल मुंबई जाएगा।
भविष्य काल के भेद - भविष्य काल के निम्नलिखित तीन भेद हैं :-
1 सामान्य भविष्य काल
2 संभाव्य भविष्य काल
3 हेतुहेतुमद भविष्य काल
1. सामान्य भविष्यत काल
क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य में होने का बोध हो, वह सामान्य भविष्य काल कहलाता है।
जैसे:- राम दिल्ली जाएगा।
वे कल स्कूल जाएंगे।
उपर्युक्त वाक्य की क्रियाओ से कार्य के भविष्य काल में होने का बोध होता है। अतः ये सामान्य भविष्य काल की क्रियाएं हैं ।
2. संभाव्य भविष्यत काल
क्रिया के जिस रूप से भविष्य काल में कार्य के होने में संदेह अथवा संभावना पाई जाए, वहां संभाव्य भविष्य काल होता है।
जैसे:- संभव है कल बारिश होगी ।
शायद कल राम कल आएगा।
उपर्युक्त वाक्य से कार्य के भविष्यत काल में होने की संभावना का बोध होता है। अतः ये संभाव्य भविष्यत की क्रियाएं हैं।
3. हेतुहेतुमद भविष्यत काल
क्रिया के जिस रूप से एक कार्य का होना किसी दूसरे भविष्य काल की क्रिया के संपन्न होने पर निर्भर हो , वहां हेतुहेतुमद भविष्य काल होता है।
जैसे:- यदि मेरा मित्र आएगा तो मैं अवश्य चलूंगा।
जब तक मैं अपना पाठ याद नहीं करूंगा तब तक नहीं खेलूंगा।
छात्रवृत्ति मिले तो राम पढ़े।
विशेष
प्रत्येक वाक्य में कम से कम एक क्रिया अवश्य होती है। कभी तो यह घटित होती प्रतीत होती है और कभी नहीं ।
जैसे:- वह पढ़ रहा है । ( क्रिया घटित प्रतीत होती है। )
वह पढ़ेगा । ( क्रिया घटित होती, प्रतीत नहीं होती है। )
क्रिया के घटित होने में जो समय लगता है, वह उसका पक्ष कहलाता है। इस दृष्टि से क्रिया के तीन पक्ष है:-
1 नित्य पक्ष 2 सतत्य पक्ष 3 पूर्ण पक्ष
नित्य पक्ष - इसमें कोई भी कार्य नित्य ( रोज ) घटित होने का बोध होता है।
जैसे:- मैं स्कूल जाता हूं।
सातत्य पक्ष - सातत्य पक्ष का अर्थ है निरंतरता । इसमें कोई भी कार्य लगातार होता रहता है।
जैसे:- नदियां बह रही है।
पूर्ण पक्ष - जहां कार्य पूर्ण होने की सूचना मिलती है, वहां पूर्ण पक्ष होता है।
जैसे:- मैं खाना खा चुका था।