वाच्य किसे कहते है ? वाक्य की परिभाषा बताओ ?
वाच्य क्रिया का रूपांतरण है । जिसके द्वारा यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता, कम या भाव में से किसकी प्रधानता है, उसे वाच्य कहते हैं ।
राम - पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष।
वाच्य के प्रकार - वाच्य तीन प्रकार के होते हैं
1. कर्तृवाच्य 2. कर्मवाच्य 3. भाव वाच्य
1. कर्तृवाच्य
क्रिया के उस रूपांतरण को कर्तृवाच्य कहते हैं जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है अर्थात कर्तृवाच्य में क्रिया का संबंध कर्ता से होता है । इसमें क्रिया का लिंग, वचन तथा पुरुष कर्ता के लिंग, वचन तथा पुरुष के अनुसार ही होते हैं। यह वाच्य सकर्मक और अकर्मक दोनों से बनता है। जैसे
- राम पुस्तक पढ़ता है। ( एकवचन, पुल्लिंग, सकर्मक )।
- सीता खाना पका रही है। ( एकवचन, स्त्रीलिंग, सकर्मक )।
- घोड़े घास खा रहे हैं। ( बहुवचन, पुल्लिंग, सकर्मक )।
- गीता रोती है। ( एकवचन, स्त्रीलिंग, अकर्मक )।
विशेष :-
1. उपर्युक्त वाक्य में लिंग, वचन सभी कर्ता के अनुसार ही आए हैं।
- हमारे यहां पूजा नहीं की जा रही है।
3. कर्तृवाच्य में जब कर्ता के साथ ने लगा हो , तो क्रिया कर्ता के अनुसार न हो कर कर्म के अनुसार होती है ।
- राम ने आम खाए ।
2. कर्मवाच्य
क्रिया के उस रूपांतरण को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध होता है । यह वाच्य सकर्मक क्रिया से बनता है। इसमे क्रिया का संबंध कर्म से होता है तथा क्रिया का लिंग, वचन तथा पुरुष तीनों ही कर्म के लिंग, वचन तथा पुरुष के अनुसार होते हैं। जैसे
- राम द्वारा खाना पकाया जा रहा है।
- महिलाओं द्वारा गीत गाए जा रहे हैं।
विशेष :-
3. भाव वाच्य
क्रिया का वह रूपांतर भाव वाच्य कहलाता है , जिस वाक्य में भाव ( क्रिया/धातु के अर्ध ) की प्रधानता का बोध होता है । यह वाच्य अकर्मक क्रिया से बनता है तथा क्रिया सदैव एकवचन, पुलिंग तथा अन्य पुरुष के रूप में रहती है।
- मुझसे चला नहीं जाता।
- सीता से हंसा नहीं जाता।
उपर्युक्त वाक्य की क्रियाएं जैसे चला नहीं जाता, हंसा नहीं जाता अकर्मक है। इन वाक्यों में क्रिया का बल ना तो कर्ता पर पड़ता है और ना ही कर्म पर। केवल क्रिया के भाव पर ही बल है, तथा ये सभी वाक्य भाव वाच्य के उदाहरण है ।
1. अधिकतर निषेधार्थक वाक्य ही भाव वाच्य में प्रयुक्त होते हैं ।
- राम से कूदा नहीं जाता । ( कर्ता के साथ )।
- अब बर्दाश्त के बाहर है। ( कर्ता के बिना )।
वाच्य परिवर्तन
कर्तृ वाच्य से कर्मवाच्य बनाना
1. कर्तृवाच्य में कर्ता के साथ कोई भी विभक्ति लगी हो, तो उसे हटाकर "से" द्वारा या "के" द्वारा विभक्ति लगा देते हैं। कर्मवाच्य में कर्ता की अपेक्षा कर्म की प्रधानता रहती है। इस प्रकार से उसे कर्ता की भूमिका से दूर कर देते हैं।
2. कर्तृवाच्य की क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदल देते हैं तथा इस परिवर्तित क्रिया के साथ "जाना" क्रिया का काल, पुरुष, वचन तथा लिंग के अनुसार रूप जोड़ दिया जाता है।
3. यदि कर्म के साथ विभक्ति भी लगी हो तो उसे हटा देते हैं।
4. आवश्यकता अनुसार निषेध सूचक "नहीं" का प्रयोग करते हैं ।
कर्तृ वाच्य कर्म वाच्य
राम लड़ाई करता हैं। राम के द्वारा लड़ाई की जाती है।
राधिका पत्र लिखती है। राधिका द्वारा पत्र लिखा जाता है।
कर्तृवाच्य से भाव वाच्य बनाना
1 कर्ता के आगे " से" अथवा "के द्वारा" लगा देते हैं। मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया के एक वचन में बदलकर उसके साथ "जाना" धातु के एक वचन, पुलिंग, अन्य पुरुष का वही काल लगा देते हैं। जो कर्तृवाच्य की क्रिया का है ।उदाहरण
कर्तृवाच्य भाव वाच्य
बच्चा आंगन में खेल रहा था। बच्चों के द्वारा आंगन में खेला जा रहा था।
क्या राजू पड़ेगा । क्या राजू द्वारा पढ़ा जाएगा।