समुच्चय बोधक अव्यय किसे कहते है ? उदहारण सहित |
जो अव्यय सदा दो शब्दांशो, वाक्यों अथवा वाक्यांशों या उपवाक्यों को जोड़ते हैं। वह समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं। जिन्हें योजक भी कहते हैं। जैसे -
उदा.-
- राम, सीता और लक्ष्मण वनवास गये | (शब्दों को )
- सच बोलना परन्तु किसी की परवाह न करना। (वाक्यों को)
- राम वनवास गया है अतः वह नहीं आएगा | (वाक्यों को)
प्रयोग की दृष्टि की से समुच्चयबोधक अव्यय के भेद :-
प्रयोग के आधार पर समुच्चयबोधक अव्यय मुख्यत: 2 प्रकार के होते हैं।
1. सामानाधिकरण 2. व्याधिकरण
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक -
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद :-
समानाअधिकरण समुच्चयबोधक चार प्रकार के होते हैं
1 संयोजक 2 विभाजक
3 विरोध सूचक 4 परिणाम सूचक
1. संयोजक समानाधिकरण
जो शब्द एक ही वर्ग के दो अथवा दो से अधिक पदों, वाक्यों एवं उप वाक्यांशों को जोड़ने का काम करता है, उसे संयोजक समानाधिकरण अव्यय कहते हैं |
- राम और श्याम खेल रहे थे |
- क्रिकेट तथा फुटबॉल अलग-अलग खेल है।
- रीता एवं गीता एक साथ खाना खाती है |
विशेष -
इत्यादि, आदि, भी संयोजक हैं, परंतु यह एक ही वर्ग के पदों , वाक्यों अथवा उपवाक्यों के अंत में प्रयुक्त होते हैं | जैसे -
- मेरे पास लाल, सफेद, काले, पीले आदि रंगों के कपड़े हैं |
- मोटा, पतला, छोटा, लंबा इत्यादि विशेषण है।
- राम, दिल्ली, हिमालय इत्यादि संज्ञा है |
2 विभाजक समानाधिकारण
जो शब्द एक ही श्रेणी के दो अथवा दो से अधिक शब्दों, वाक्यों अथवा उपवाक्यों में परस्पर विभाजन तथा विकल्प प्रकट करते हैं, वे विभाजक अथवा विकल्प समानाधिकारण अव्यय कहलाते हैं। जैसे -
- न मैंने चोर को देखा न पकड़ा।
- राम अथवा श्याम को बुलाओ।
- चाहे पढो चाहे खेलो, तुम्हारी मर्जी |
- राम, क्या तुम जाओगे ?
3. विरोध सूचक समानाधिकरण
दो परस्पर विरोधी कथनों तथा वाक्यों को जोड़ने वाले अव्यय विरोध सूचक अव्यय कहलाते हैं। जैसे -
किंतु, लेकिन, बल्कि, परंतु, मगर, वर्णन, पर आदि।
- राम तो आ गया परंतु सीता नहीं आई ।
- महात्मा गांधी घमंडी नहीं बल्कि विनम्र व्यक्ति थे।
- राम ईमानदार है किन्तु बेईमान नहीं |
4 परिणाम सूचक समानाधिकरण
जो अव्यय पहले उपवाक्य तथा उसके परिणाम का संकेत देने वाले अन्य उपवाक्यों को परस्पर जोड़ने का काम करते हैं। उन्जैहें परिणाम सूचक समानाधिकरण अव्यय कहते है | जेसे -
इसलिए, इस कारण, लिहाजा, इससे, अतः, अतएव।
उदा.-
- रामू ने चोरी की इसलिए पुलिस ने उसे पकडा।
- मैनपाट बहुत ही सुंदर दर्शनीय स्थल है, अतः मैं भी देखने जाऊंगा।
- उसने चोरी की लिहाजा उसे सजा भुगतना पड़ेगा |
2, व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
जो अव्यय शब्द मुख्य वाक्य में एक अथवा एक से अधिक आश्रित वाक्य जोड़ते है, वे व्याधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय कहलाते है | जेसे -
ताकि, क्योंकि, कि, यदि, जो, तो, मानो, अर्थात् आदि |
- विराट कोहली ने हेलमेट पहन लिया ताकि सिर पर चोट न लगे |
- दस सिर है जिसके अर्थात् रावण के |
व्याधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय के निम्नलिखित चार भेद हैं :-
1 कारण सूचक 2 संकेत सूचक
3 उद्देश्य सूचक 4 स्वरूप सूचक
1. कारण सूचक व्याधिकरण
जो समुच्चय बोधक अव्यय दो वाक्य को जोड़कर मुख्य उपवाक्य की बात का कारण बताएं, उन्हें कारण सूचक व्याधिकरण अव्यय कहते हैं।जैसे-
क्योंकि, ताकि, इसलिए_ कि, इस कारण आदि।
- राम कल पढ़ने नहीं आया क्योंकि वह बीमार था।
- नदी में बाढ़ आया है इसलिए आने जाने में परेशानी हो रही हैं।
2 संकेत सूचक व्याधिकरण
जब दो वाक्यों के आरंभ में एक योजक द्वारा अगली योजक का संकेत पाया जाता है, वे अव्यय संकेत सूचक व्याधिकरण अव्यय कहलाते हैं। यह प्रायः जोड़े के रूप में आते हैं। जैसे -
चाहे...तो, यदि....तो, यद्यपि.... तथापि, जो....तो, अगर...तो आदि।
- यदि बारिश हुई तो नदी में बाढ़ आ जाएगा।
- अगर तुम मुझे लेने आओगी तो मैं अवश्य चलूंगा।
3 उद्देश्य सूचक व्याधिकरण
यह अव्यय आश्रित उपवाक्य से पहले आकर मुख्य उपवाक्य का उद्देश्य स्पष्ट करते हैं | जैसे -
ताकि, इसलिए कि , जिससे की, जो की आदि।
- मैंने AC चालू किया ताकि मुझे गर्मी ना लगे।
- पुलिस दौड़ा जिससे कि चोर को पकड़ सके |
4 स्वरूप सूचक व्याधिकरण
जो समुच्चय बोधक अव्यय दो उपवाक्यों को जोड़ते हुए वाक्य के मुख्य कथन को आश्रित उपवाक्य में जोड़कर उसके स्वरूप को स्पष्ट कर देते हैं, उसे स्वरूप सूचक व्याधिकरण अव्यय कहा जाता है । जैसे -
यानी, अर्थात, यहां तक की, मानो, जो आदि।
- हाथी इतना खाता है कि मानो पेट न कुआं हो।
- राम जायेगा यानी मैं भी जाऊंगा |
समुच्चयबोधक अव्यय के कार्य
1 यह दो शब्दों या सरल वाक्य को जोड़ता है।
2 यह बताता है कि अगले वाक्य के अर्थ का परिणाम पिछले वाक्य के अर्थ का परिणाम है।
3 कभी-कभी दो वाक्यों या शब्दों में विरोध भी दर्शाता है। जैसे -
राम छोटा है परंतु उसका भाई लंबा है।
4 यह दो शब्दों अथवा वाक्यों में से एक को ग्रहण या त्याग अथवा दोनों का त्याग करता है । जैसे -
राम आया, न सीता आई।