जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के बाद आकर उनका वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ संबंध बताते हैं उन्हें संबंध बोधक अव्यय कहते हैं |
अर्थ की दृष्टि से संबंध बोधक अव्यय के निम्नलिखित भेद हैं
1 कालवाचक -
के बाद, के पहले, के पक्ष, के पीछे, के उपरांत, के पूर्व, के लगभग, से पहले आदि ।
2 स्थान वाचक -
के समीप, के निकट, के पास, के नजदीक, के आगे, के सामने, के पीछे, के बीच, के ऊपर, के नीचे आदि।
3 दिशा सूचक -
की ओर, की तरफ, के आसपास, के पास, के समीप, के चारों ओर, के निकट, की तरफ आदि।
4 साधन सूचक/कार्यकरण सूचक -
की निमित्त, के लिए, के वास्ते, के हेतु, के कारण, के जरिए, के मारे, के सहारे आदि।
5 विरोध सूचक -
के विरुद्ध, के विपरीत, के खिलाफ, से उल्टा, के प्रतिकूल आदि।
6 समता सूचक/सादृश्य सूचक -
के योग्य, की तरह, के अनुसार, के सामान, की भांति, के मुताबिक, के अनुरूप, के सदस्य, के बराबर आदि।
7 तुलना सूचक -
के सम्मुख , के सामने, की अपेक्षा, के आगे आदि।
8 संबंध सूचक/साहचर्य सूचक -
के वास्ते, के समेत, के सहित, के साथ, के संग आदि।
9 विनियम वाचक =
की जगह पर, के बदले, की एवज में, के पलटे आदि।
10 संग्रह वाचक -
समेत, तक, पर्यंत , भर आदि।
11 मित्रता सूचक/व्यतिरेक सूचक -
के बगैर, शिवाय, की बजाय, के अलावा, की अतिरिक्त आदि।
12 उद्देश्य सूचक -
की खातिर, के लिए आदि।
व्युत्पत्ति या रूप की दृष्टि से संबंधबोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं
1 मूलसंबंध वाचक अव्यय
जो संबंधवाचक किसी अन्य शब्द से नहीं बनाया जाता है, वह मूल संबंधवाचक अव्यय कहलाता है।
2 योग संबंध वाचक अव्यय
जो संबंध वाचक किसी अन्य शब्द से बनाया जाता है वह योग संबंध वाचक अव्यय कहलाता है |
प्रयोग की दृष्टि से संबंध बोधक अव्यय के भेद
प्रयोग की दृष्टि से संबंध बोधक अव्यय के दो भेद हैं
1 संबंध बोधक अव्यय जो संज्ञाओं की विभक्ति के बाद आते हैं ।
जैसे- के यहां, के पास, के बिना, के मारे, के भीतर, के ऊपर आदि।
2 संबंध बोधक अव्यय जो संज्ञाओं के बाद बिना विभक्ति के आते हैं ।
जैसे- पहले, भर, तक, समेत, पीछे आदि।