( morphology ) शब्द की परिभाषा, अर्थ, प्रकार और महत्त्व , शब्द के भेद
शब्द (WORD) हमारे भाषा व संवाद का मूल होता है | यह साधारण रूप से अक्षरों का संयोजन होता है | जो एक विशेष भाषा में अर्थपूर्ण ध्वनि या स्थिति को प्रकट करने के लिए प्रयोग होता है |
एक अथवा अनेक स्वतंत्र ध्वनि को 'शब्द' कहते हैं |
जैसे- राम, श्याम, किताब आदि |
सभी शब्दों की रचना ध्वनियों के सहयोग से होती है।
एक वर्ण से निर्मित शब्द - व, (और, तथा), न (नहीं) |
दो वर्णों से निर्मित शब्द - कल, हल |
तीन वर्णों से निर्मित शब्द - कलम, महक, नज़र |
अनेक वर्णों से निर्मित शब्द - पुस्तकालय, परमात्मा |
ऊपर लिखे सभी शब्दों से किसी न किसी अर्थ की अभिव्यक्ति हो रही है | इसलिए यह सभी सार्थक शब्द हैं | लेकिन यदि हम 'संवय' आदि लिखे तो ये शब्द अक्षरों के समूह होते हुए भी शब्दों की श्रेणी में नहीं आते, क्योंकि इनमें किसी अर्थ की अभिव्यक्ति नहीं होती हैं | अतः ये निरर्थक शब्द है |
इस प्रकार शब्द की कुछ प्रमुख विशेषताएं होती है -
1 शब्द दो शब्द दो या अधिक वर्णों के समूह से बनते हैं|
2 प्रत्येक शब्द का कोई अर्थ अवश्य होता है |
3 वाक्य में प्रयुक्त होने पर यह शब्द हमारे भावों विचारों को प्रकट करती हैं |
4 वाक्य में शब्द एक प्रकार का निश्चित कार्य करते हैं | जिसके आधार पर हम उन्हें संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि शब्द भेदों में विभक्त करते हैं।
शब्द एवं पद की परिभाषा
प्रत्येक स्वतंत्र सार्थक वर्ण समूह 'शब्द' कहलाता है | लेकिन जब किसी शब्द का प्रयोग वाक्य में होता है, तो वह स्वतंत्र न रहकर व्याकरण के नियमों ( लिंग, वचन, कारक ) आदि में बंधकर अनुशासित हो जाता है तथा उसका रूप भी बदल जाता है | तब वह शब्द न रहकर 'पद' बन जाता है | जैसे-
समीर ने राम को जोर से मारा |
व्याकरण के नियमों में बंधने से पहले समीर, राम, जोर, मारा आदि सार्थक एवं स्वतंत्र शब्द है, लेकिन वाक्य में प्रयुक्त होने पर यह शब्द पद बन गए हैं।
शब्दों के भेद/वर्गीकरण -
शब्दों का वर्गीकरण 5 प्रकार से किया जाता है-
1. रचना/व्युत्पत्ति अथवा बनावट के आधार पर
2. उत्पत्ति/इतिहास या स्रोत के आधार पर
3. अर्थ के आधार पर
4. वाक्य में प्रयोग के आधार पर
5. व्याकारणिक प्रकार्य के आधार पर
1. रचना अथवा बनावट के आधार पर-
इस आधार पर शब्द के तीन भेद किए गए हैं-
1. रूढ़ शब्द
2. यौगिक शब्द
3. योगरूढ़ शब्द
1. रूढ़ शब्द ( Routine Words )
वे शब्द जो किसी अन्य शब्द के मेल से ना बने हो तथा जो कोई विशेष अर्थ प्रकट करते है | जिनके खंडों का कोई विशेष अर्थ न निकलता हो, वे रूढ़ शब्द कहलाते है। इन्हें मूल शब्द भी कहते हैं |जैसे -
दिन, रात, कर, कल |
2. यौगिक शब्द ( Combined Words )
जो शब्द दूसरे शब्दों के मेल से बनते हैं तथा जिनके सार्थक खंड किये जा सकते हैं, यौगिक शब्द कहलाते हैं | जैसे विद्यालय, राजयोग |
यौगिक शब्दों की रचना निम्नलिखित विधियों द्वारा की जाती है
(A) प्रत्यय (Suffix) के योग से |
जैसे- सामाजिक ( समाज+ इक) इसमें समाज रूढ़ शब्द है तथा इक प्रत्यय जोड़ा गया है, जिससे सामाजिक शब्द का निर्माण हुआ हैं।
(B) उपसर्ग (Prefix) के योग से |
जैसे- सगुण ( स+ गुण) गुण रूढ़ शब्द है तथा 'स' उपसर्ग लगने से सगुण यौगिक शब्द बना हैं।
(C) समास (Compounds) के द्वारा |
जैसे - देश भक्ति (देश के लिए भक्ति ), राजपुत्री (राजा की पुत्री) आदि | यह दोनों शब्द 'देश के लिए भक्ति' तथा 'राजा की पुत्री' से बने हैं | राजा का संक्षिप्त रूप 'राज' रह गया है तथा 'के लिए' व 'की' का लोप हो गया हैं।
(D) संधि (Coalescence) के द्वारा |
जैसे- दिनेश (दिन+ ईश) यहां पर अ+ई मिलकर 'ए' बना है। जिससे 'दिनेश' रुपी यौगिक शब्द बन गया है।
3. योगरूढ़ शब्द ( Combined Routine Words )
वे शब्द जो यौगिक तो होते हैं, परंतु जिनका अर्थ रूढ़ ( विशेष अर्थ ) हो जाता है, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं | यौगिक होते हुए भी ये शब्द एक इकाई हो जाते हैं, यानी ये सामान्य अर्थ को ना प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं |
जैसे- पीतांबर, जलज |
पीतांबर का सामान्य अर्थ है- 'पीला वस्त्र', किंतु यह विशेष अर्थ में 'श्री कृष्ण' के लिए प्रयुक्त होता है, इसी तरह जलज का सामान्य अर्थ है- 'जल से जन्मा', किंतु यह विशेष अर्थ में केवल 'कमल' के लिए प्रयुक्त होता है। जल में जन्मे और किसी भी वस्तु को हम जलज नहीं कहते है।
2. उत्पत्ति या स्त्रोत के आधार पर शब्द के चार भेद हैं।
इस आधार पर शब्द के चार भेद हैं -
1. तत्सम शब्द
2. तद्भव शब्द
3. देशज शब्द
4. विदेशी शब्द
1. तत्सम शब्द-
संस्कृत के विभिन्न शब्द जो हिंदी में भी ज्यों के त्यों प्रयोग होते हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं | जैसे-
माता, रात्रि, आजा, आहार, गंगा, जय आदि।
2. तद्भव शब्द-
हिंदी में प्रयुक्त संस्कृत के बिगड़े रूप को तद्भव कहते हैं | जैसे-
तत्सम तद्भव
मयूर मोर
दधि दही
शत सौ
काष्ट काठ
3. देशज शब्द-
देशज शब्द का अर्थ है- देश में जन्मा। ऐसे शब्द जो क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव के कारण, स्थिति व आवश्यकता अनुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं, यानि अपने ही देश की बोलचाल से बने शब्द 'देशज शब्द' कहलाते हैं | जैसे -
कुत्ता, रोटी, लोटा, बेटा आदि।
4. विदेशी शब्द-
अन्य भाषाओं के जो शब्द हिंदी में प्रयुक्त होने लगते हैं, वे विदेशी शब्द कहलाते हैं | जैसे -
स्टेशन, डॉक्टर, कानून |
ऐसे ही अनेक विदेशी शब्द जो अन्य भाषाओं से लिया गया है | जैसे -
अंग्रेजी भाषा के शब्द - सिगरेट, रोशन, कॉलेज |
अरबी भाषा के शब्द - अक्ल, अजनबी, अजीब |
फारसी शब्द - किताब, गुलाब, मदरसा, शादी |
पुर्तगाली शब्द - आया अलमारी अनानास आलू |
तुर्की शब्द - कालीन, कबूल, लाश |
चीनी शब्द - चाय, पटाखा, तूफान आदि |
वर्ण शंकर - दो भाषाओं से मिलकर बने शब्द वर्ण शंकर कहलाते हैं | जैसे-
अरबी + फारसी = दमकद, गैरजिम्मेदार
हिंदी + अंग्रेजी = टिकटघर, रेलगाड़ी
हिंदी + संस्कृत = मांगपत्र , रेलयात्रा
हिंदी + अरबी = जूताखोर, कबाबचीनी
3. अर्थ के आधार पर शब्द के 4 प्रकार है
अर्थ के आधार पर शब्दों के चार प्रकार
1, पर्यायवाची शब्द
2, अनेकार्थी शब्द
3. एकार्थी शब्द
4. विलोम शब्द
1. पर्यायवाची शब्द-
जिन शब्दों के अर्थ में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते है |
जैसे-
पर्वत - शैल, गिरी, अचल, पहाड़ |
2. अनेकार्थी शब्द-
ऐसे शब्द जिसके एक से अधिक अर्थ होते है, अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं | जैसे-
अलि - भौरां, बिच्छु, सखी, पंक्ति ।
कंचन - सोना, धतुरा, कांच, धन दौलत, निर्मल, संपत्ति|।
3. एकार्थी शब्द-
ऐसे शब्द जिसका अर्थ कभी परिवर्तित नहीं होता है, अर्थ सदैव एक ही रहता है, एकार्थी शब्द कहलाता है । प्राय: व्यक्ति वाचक संज्ञा के शब्द इस वर्ग में आते है |
जैसे -
ईश्वर, सत्य, लोहा, वृक्ष, केला, सूर्य, चंद्रमा, पुस्तक आदि।
4. विलोम शब्द-
विपरीत अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहा जाता है |
जैसे -
जीवन-मरण, सच-झूठ, रात-दिन,
ऊंचा-नीचा, राजा-रंक आदि।
4. वाक्य में प्रयोग के आधार पर - 2
वाक्य में प्रयोग के आधार पर शब्दों को 2 वर्गों में बांटा गया है
1. विकारी शब्द
2. अविकारी शब्द
1. विकारी शब्द-
जो शब्द अलग-अलग परिस्थितियों में आवश्यकता तथा प्रयोग के अनुसार अपना रूप बदल देते हैं, वे विकारी शब्द कहलाते हैं|
जैसे- मैं शब्द के मुझे, मैं, मेरा, हम, हमें, हमारा आदि रूप मिलते हैं| इसी प्रकार लड़का शब्द प्रयोग के कारण लड़के, लड़को आदि बन जाता है|
संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि यह सभी शब्द विकारी शब्द हैं।
2. अविकारी शब्द (अव्यय) -
वे शब्द जिनमें लिंग वचन अथवा कारक के प्रभाव से कभी कोई परिवर्तन नहीं होता, अविकारी शब्द कहलाते हैं |
जैसे- यहां, वहां, परंतु, लेकिन आदि।
क्रिया विशेषण, संबंध बोधक, सम्मुचय बोधक, विस्मयादिबोधक आदि शब्द अविकारी शब्द (अव्यय)कहलाते हैं।
5 व्याकारणिक प्रकार्य के आधार पर
जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो वह कोई ना कोई व्याकरण कार्य करने लगते हैं| कोई कर्ता का, कोई क्रिया का, तो कोई कर्म का कार्य करने लगता है| इस प्रकार जो शब्द जैसा कार्य करते हैं उनका वर्गीकरण उसी आधार पर होता है|
इस प्रकार शब्दों को 8 वर्गों में रखा गया है
1. संज्ञा - राम, राधा
3. विशेषण - काला , मोटा
4. क्रिया - रोना, हंसना
5. क्रिया-विशेषण - कल, आज
6. संबंध वाचक - को , ने, से, मे
7. समुच्चयबोधक - या , अथवा, किंतु
8. विस्मयादिबोधक - अरे! वाह! उफ! आदि।
समापन
शब्दों का अर्थ और प्रकार हमारी भाषा की समझ में महत्वपूर्ण है |