viram chinh in hindi विराम चिन्ह की परिभाषा, प्रकार व उनका प्रयोग उदहारण सहित |
परिचय
नमस्ते। विराम चिन्ह जिसे विराम पंक्ति भी कहा जाता है। वाक्य और पैराग्राफ के बीच में एक अंतर का सूचक होता है। यह एक छोटा सा पंक्ति या संकेत होता है। जो वाक्य को विभाजित करता है और पाठकों को समझने में मदद करता है । विराम चिन्ह कई प्रकार के होते हैं। जैसे पूर्ण विराम, अल्प विराम, अर्द्ध विराम आदि।
विराम चिन्ह का प्रयोग क्यों किया जाता है ?
विराम चिन्ह का प्रयोग वाक्य संरचना में रुझान देने के साथ-साथ पाठकों को सही समय पर विराम देने ( रुकने ) में मदद करता है, ताकि वह वाक्य सही अर्थ निकाल सके | इस प्रकार लेखन में विराम चिन्ह का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक भाषा के स्वरूप को सुझाव देता है। अगर हम सही जगह विराम चिन्ह का प्रयोग नहीं करते है, तो अर्थ का अनर्थ भी हो सकता है | इस ब्लॉग पोस्ट में हम विराम चिह्न के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।
विराम चिन्ह का अर्थ/परिभाषा
विराम का अर्थ होता है- ठहराव या विश्राम। वाक्य को लिखने अथवा बोलते समय भाषा में रुकने या ठहरने का संकेत (चिन्ह) मिले, उसे ही विराम चिन्ह कहा जाता है।
विराम चिन्ह के प्रयोग से भाषा स्पष्ट, भावपूर्ण हो जाता है। भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए इन विराम चिन्हो का प्रयोग वाक्य के बीच या अंत में किया जाता है, यदि विराम चिन्ह का प्रयोग ना किया जाए, तो अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है। जैसे -
राम को रोको मत जाने दो । (अर्थ स्पष्ट नहीं है)
राम को रोको मत, जाने दो। (अर्थ स्पष्ट - राम को जाने दो )
राम को रोको, मत जाने दो। (अर्थ स्पष्ट - राम को जाने मत देना )
प्रमुख विराम चिन्ह व उनका प्रयोग
1. पूर्ण विराम ( Full Stop )( । )
पूर्ण विराम का अर्थ है - पूरा ठहराव। एक वाक्य की समाप्ति को प्रकट करने के लिए जो चिन्ह प्रयोग किया जाता है उसे पूर्ण विराम (।) कहते हैं। प्रत्येक वाक्य की समाप्ति पर हम कुछ देर के लिए रुकते हैं तथा उसके बाद दूसरा वाक्य प्रारंभ करते हैं | हिंदी में विराम चिन्ह का प्रयोग सबसे अधिक होता है। यह चिन्ह हिंदी का प्राचीनतम विराम चिन्ह है।
- इस चिन्ह का प्रयोग प्रश्न वाचक और विस्मयादिबोधक वाक्यों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वाक्य के अंत में किया जाता है। जैसे-
राम विद्यालय जाता है।
वह खेलता है |
सीता गाना गाती है |
- दोहा, सोरठा, चौपाई आदि छंदों की पहली पंक्ति के अंत में एक पूर्ण विराम तथा दूसरी पंक्ति के अंत में दो पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग करते हैं। जैसे-
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सुन।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चुन।।
2. अल्प विराम ( Comma )( , )
अल्प विराम का अर्थ होता है - थोड़ा ठहराव या थोड़ी देर के लिए रुकना। इसका प्रयोग निम्न स्थितियों में किया जाता है -
- एक ही स्थान पर प्रयुक्त समान शब्दों तथा वाक्य को अलग करने के लिए। जैसे-
राम, सीता, गीता, नेता आदि।
- समुच्चयबोधक शब्दों ( किंतु, परंतु, क्योंकि, इसीलिए) के पूर्व भी अल्पविराम लगाया जाता है। जैसे -
में स्कूल जा रहा हूं, क्योंकि में पढ़ाई करता हूं।
- यदि किसी शब्द को दो-तीन बार दोहराना हो। जैसे -
रुको, रुको, मैं आ रहा हूं।
- तिथि में इसका प्रयोग होता है । जैसे -
15 अगस्त, 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था।
- पत्र में संबोधन के बाद । जैसे -
प्रिय, प्रति, श्रीमान आदि।
- किसी भी उक्ति के पहले 'की' के स्थान पर। जैसे -
राम ने कहा, मैं वनवास जाऊंगा ।
अरे राम, तुम कहां जा रहे हो।
3.अपूर्ण विराम/उपविराम(Colon) ( : )
अर्धविराम की अपेक्षा यदि पढ़ते समय किसी स्थान पर अधिक रुकना पड़े, तो अपूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे -
निम्न में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए :
- अपूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग भी निर्देशक चिन्ह की ही भांति किया जाता है। इसका प्रयोग शीर्षकों में अधिक होता है। जैसे -
विज्ञान: वरदान या श्राप।
4. अर्द्ध विराम ( Semicolon)( ; )
अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर किया जाता है -
- अल्पविराम से अधिक तथा पूर्णविराम से कम ठहराव के लिए इस चिन्ह का प्रयोग करते हैं । जैसे -
राम वन में घूम रहा था; हल्की हल्की बारिश हो रही थी।
- उपाधियों के बीच में भी अर्द्ध विराम लगाते हैं। जैसे -
बी.ए; एम.ए; डी.एड; बी.एड आदि।
- क्योंकि, क्यों आदि कारणवाचक क्रिया-विशेषणों के पूर्व भी अर्द्ध विराम लगते हैं। जैसे -
भरत वनवास नहीं गया; क्योंकि वह राजा बनने वाला था।
4. एक ही अर्थ को प्रदर्शित करने वाले दो स्वतंत्र वाक्य के मध्य भी अर्द्ध विराम का चिन्ह लगाया जाता है। जैसे -
शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं; लिखना सीखते हैं; समझते हैं।
5. प्रश्न वाचक चिन्ह ( Question Mark)( ? )
प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर होता है -
- प्रश्न वाचक चिन्ह प्रश्न वाचक वाक्य के अंत में विराम के स्थान पर लगाया जाता है। जैसे -
तुम कहां जा रहे ?
आपका नाम क्या है ?
विराम चिन्ह किसे कहते है ?
- उत्सुकता, जिज्ञासा तथा संदेह की स्थिति में प्रश्न वाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है । जैसे -
राम अच्छा राजा था, है ना ?
तुम शायद कल कही जा रहे थे, है ना ?
- व्यंग्यपरक उक्तियों के अंत में भी प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे -
मेरा तो मालिक ही ईश्वर है ?
- यदि लेखक को शुद्ध-अशुद्ध (सही-गलत) का संदेह हो। जैसे -
राम पहली बार ही वनवास गया था ?
6. संबोधन/विस्मयादिबोधक चिन्ह (Exclamation) ( ! )
इस चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है -
- संबोधन कारक में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे -
हे प्रभु ! मुझे आशीर्वाद दो।
- शोक, आश्चर्य, भय, हर्ष, घृणा आदि तीव्र भावों को व्यक्त करने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे -
हे राम ! यह क्या हो गया । ( विषाद )
वाह ! बहुत अच्छा । ( हर्ष )
आह ! कितना दर्द हो रहा है। ( दुख )
अरे ! तुम आ गए। ( आश्चर्य )
- सद्भावना या प्रेम प्रकट करने के लिए भी इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे -
गुणवती भव !
सदा खुश रहो !
सौभाग्यवती भव !
आयुष्मान भव !
7. कोष्ठक चिन्ह (Bracket) ( ), {}, []
कोष्ठक तीन प्रकार के होते हैं -
1. बड़ा कोष्ठक [ ]
2. मंझला कोष्ठक { }
3. छोटा कोष्ठक ( )
नोट :- हिंदी में छोटा कोष्ठक का ही प्रयोग किया जाता है।
इस चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर होता है -
- किसी कथन अथवा कठिन शब्दों का अर्थ प्रकट करने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे -
मेहनत करने से तरक्की ( सफलता ) जरूर मिलेगी।
- नाटकों में अभिनय की क्रिया को स्पष्ट करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे -
भीम ( क्रोधित होकर ) - दुर्योधन मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगा।
- सभी प्रकार के कोष्ठकों का प्रयोग गणित में किया जाता हैं। जैसे -
10+12-[2×4+{6+2}-(9÷3)+4]
8. योजक अथवा विभाजन चिन्ह (Hypen) ( - )
दो पदों को आपस में जोड़ने वाला चिन्ह, योजक चिन्ह कहलाता है। इसका प्रयोग तत्पुरुष तथा द्वंद समास के दोनों पदों के मध्य करते हैं, तथा जब किसी शब्द का प्रयोग लगातार दो बार किया जाता है, तब भी इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे -
माता-पिता, राजा-रानी, पानी-पानी, धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा आदि।
9. रेखा या निर्देशक चिह्न (Dash) ( – )
यह आकार में योजक चिह्न (- ) से थोड़ा बड़ा होता है। इसका प्रयोग निम्न स्थितियों में किया जाता है -
- किसी बात पर बल देने के लिए। जैसे -
किसी ने सच ही कहा है – आराम हराम है ।
- किसी महापुरुष, लेखक या कवि का कोई अवतरण देने के पश्चात उसके नाम के पूर्व। जैसे
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून – कबीर दास।
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा – सुभाष चंद्र बोस।
- उदाहरण देने के लिए उदाहरण से पहले तथा जैसे के पश्चात । जैसे–
सुबास चंद्र बोस ने कहा – करो या मरो ।
- किसी संवाद में वक्त के कथन से पहले। जैसे -
अध्यापक– तुमने गृह कार्य क्यों नहीं किया?
बच्चा– भूल गया।
10. संक्षेप (लाघन) चिह्न (Abbreviation mark )(०)
जहां पूरा शब्द न लिखकर उसके संक्षिप्त रूप से ही काम चलाया जाए, वहां शब्द के प्रथम वर्ण के आगे संक्षेप चिह्न (लाघन) लगाते हैं | जैसे:-
डॉक्टर - डॉ०
हस्ताक्षर - ह०
प्रोफेसर - प्रो०
11. उद्धरण चिह्न ( Inverted Commas) ( ' '," " )
जब किसी कथन को ज्यों का त्यों, बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग करते हैं, तो यह चिह्न प्रयोग किया जाता है। यह चिह्न दो प्रकार का होता है -
एकहरा उद्धरण चिह्न (' ')
दुहरा उद्धरण चिह्न ( " " )
उद्धरण चिह्न का प्रयोग निम्न स्थितियों में होता है -
- जब किसी का कथन ज्यों का त्यों लिखना हो, तो उस कथन के ऊपर दुहरा उद्धरण चिह्न ( " " ) लगाते हैं। जैसे -
राम ने कहा, " मैं आज वनवास जाऊंगा। "
विशेष:- " " से पहले अल्पविराम चिह्न आता है।
- वाक्य में किसी पुस्तक या लेखक के नाम, उपनाम के ऊपर एकहरा उद्धरण चिह्न ( ' ' ) लगाते हैं । जैसे -
'गीता' एक पवित्र ग्रंथ है।
महाभारत के रचयिता 'वेदव्यास' है।
- वाक्य में किसी शब्द पर विशेष बल देने के लिए एकहरा उद्धरण चिह्न लगाते हैं। जैसे -
'पृथ्वी' के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
12. लोपचिह्न/अपूर्णता सूचक ( Incempletion Mark ) (......,××××× )
इस चिह्न का प्रयोग निम्न स्थितियों में होता है -
- समय अथवा स्थान के अभाव में जब पूरा उद्धरण न देकर उसका कुछ अंश जोड़ दिया जाता है, तो उस जोड़े गए अंश के स्थान पर इस चिन्ह का प्रयोग करते हैं। जैसे -
राम ने लक्ष्मण को.............. कहकर बुलाया।
- गद्य या पद्य की कोई पंक्ति छोड़ने के लिए इस चिह्न का प्रयोग करते हैं। जैसे
रहिमन पानी राखिए,
x x x x x |
पानी गए न उबरे,
मोटी मानुष चुन।।
- रिक्त स्थानों की पूर्ति करने वाले प्रश्नों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे -
हाथी ............ में रहता हैं।
ऊंट को रेगिस्थान का ........... कहा जाता हैं।
13. सामानता/तुल्यता सूचक चिह्न ( is equal to) ( = )
जब किसी एक वस्तु की तुलना या सामानता किसी दूसरी वस्तु से करनी हो तो दोनों तथ्यों के मध्य सामानता/तुल्यता सूचक चिह्न लगाते हैं। जैसे -
100 सेमी = 1 मीटर
1000 ग्राम = 1 किलोग्राम
15 + 15 = 30
14. विवरण चिह्न ( Sign of Following) ( :- )
जब किसी कथन का उत्तर, विवरण अथवा उदाहरण अगली पंक्ति में देना हो, तब इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है । जैसे -
निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:-
सूर्य, चंद्रमा, कमल
15. परणति/अधिकता सूचक चिह्न ( Greater than ) ( > )
किसी वर्ण, शब्द, अंक आदि की विकास दशा अथवा किसी पदार्थ को दूसरे से ऊपर/अधिक दिखाने के लिए इस चिह्न का प्रयोग करते है। जैसे -
20 > 12
50 > 40 > 30 > 20
16. न्यूनता सूचक चिह्न ( Less than ) ( < )
दो वस्तुओं की तुलना में एक को दूसरे से न्यून ( छोटी ) प्रदर्शित करने में इस चिन्ह का प्रयोग करते है। जैसे -
15 < 20
20 < 30
17. निर्देश चिन्ह ( Sign of Indication) ( ---> )
जब कोई बात दूसरे स्थान पर लिखी हो तो उसे सही स्थान पर लाने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। संशोधन कार्य में इस चिन्ह का प्रयोग अधिक होता हैं ।
18. टिप्पणी सूचक चिह्न ( Note Sign ) ( * )
निबंध लेखन आदि में जहां किसी विचार या ग्रंथ आदि पर कोई टिप्पणी करनी होती है, तो उस विचार को उद्धत करके, उसके अंत में यह चिन्ह लगाते हैं। इसके बाद पृष्ठ पर सबसे नीचे यह चिन्ह लगाकर उसके बाद टिप्पणी लिखी जाती है। जैसे
विज्ञान के चमत्कार
* आज का युग विज्ञान की देन है।
19. हंसपद चिह्न ( Caret ) ( ^ )
जब कोई वाक्य लिखते समय उसमें कुछ अंश या शब्द छूट जाता है तो उस छूटे हुए अंश के स्थान पर हंसपद चिह्न लगाकर छूटा हुआ अंश उसके ऊपर लिख देते हैं। जैसे -
सब्जी
राम बाजार से ^ लेकर घर जा रहा है।
20. रेखांकित चिह्न ( Underline) ( __ )
वाक्य की किसी भी अंश पर मुख्य बोल देने के लिए या उस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उस अंश, वाक्य या शब्द के नीचे रेखा खींच देते हैं | जैसे -
राम ने रावण को मारा।
21. पुनरुक्ति सूचक चिह्न ( Ditto ) ( " )
लिखते समय वाक्य तथा शब्दों आदि के पुनरुक्ति से बचने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे -
राम लक्ष्मण अयोध्या में रहते हैं ।
सीताराम भी " " " रहता है।
भरत भी " " " " है |
22. समाप्ति सूचक चिह्न ( The End ) ( ---०---०--- )
किसी भी लेख, कविता, निबंध आदि की समाप्ति पर अंतिम पंक्ति के नीचे यह चिन्ह लगाते हैं। जैसे -
अध्याय यही समाप्त होता हैं।
-------०--------०----------०---------०--------०--------०-------०----
समापन
इस ब्लॉग के माध्यम से हमने विराम चिन्ह के विभिन्न पहलुओ पर विचार किया है | हम उम्मीद करते है की आपने इसे पढ़ कर कुछ नया सिखा होगा और अपने हिंदी व्याकरण के ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित हुए होंगे | आपका समय देने के लिए धन्यवाद |